Bhartendra Sharma
Author
5 Feb 2021 04:54 PM
बहुत बहुत सुंदर। मेरी नकारात्मक रचना में भी अपने सकारात्मक्ता के पंख लगा दिये। आपको भी सादर नमन ।
हम मिले न मिले मन मिल जाए।
दिल की बगिया में सुमन खिल जाए।
रिश्ता बना रहे ऐसा, चाहे पास में न हो पैसा।
जख्म एक दूसरे के सिल जाएं।।
*अनुनय*प्रणाम आदरणीय!