श्रीमान चतुर्वेदी जी,यह विडंबना ही है कि कल तक यही किसान मोदी जी के मुरीद हुआ करते थे, और मोदी जी भी इनकी आय को बढ़ाने की कोशिश करते दिखाई दे रहे थे, अचानक यह घटना-चक्र इतना अविश्वसनीय कैसे हो गया है कि आज एक दूसरे पर भरोसा कायम नहीं हो रहा! कहीं कोई बीच में कोई ऐसा तो नहीं जो यह दूरी पाटने नहीं देना चाहता!
श्रीमान चतुर्वेदी जी,यह विडंबना ही है कि कल तक यही किसान मोदी जी के मुरीद हुआ करते थे, और मोदी जी भी इनकी आय को बढ़ाने की कोशिश करते दिखाई दे रहे थे, अचानक यह घटना-चक्र इतना अविश्वसनीय कैसे हो गया है कि आज एक दूसरे पर भरोसा कायम नहीं हो रहा! कहीं कोई बीच में कोई ऐसा तो नहीं जो यह दूरी पाटने नहीं देना चाहता!