Rajesh vyas
Author
3 Feb 2021 10:38 PM
न खबर लगी न पता चला।
प्यार का सिलसिला कब चला।
मिट गए फासले ,ले लिए फैसले।
“प्रेम “के लिए जब दिल मचला।।
प्रणाम आदरणीय!
लिखे तो थे खत हजार ,
पर कब हुआ था प्यार ।
जरा ये भी तो बता दीजिये,
दर्शक भी सुनने को हैं तैयार ।
मैंने आपको वोट दे दिया है आपका भी वोट मिल गया है हमें । वोट देने के लिए धन्यवाद ।
दर्शक सुनने को हैं तैयार ।