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अंकिता – आपकी रचना की ये lines बेहतरीन – सत्य को उजागर करती है . मुझे बहुत पसंद आई
**लोग जिसे नीँद कहते हैँ..
जाने क्या चीज होती है..
आँखे तो हम भी बंद करते हैँ.
पर वो आपसे मिलने की तरकीब होती है.****

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