डी. के. निवातिया
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28 Sep 2016 04:40 PM
Thank you very Much MANI Ji
बहुत ही उम्दा रचना एक सवाल पूछती हुई हर इंसान से कब वो अपने अंदर की बुराइयो को मारेगा……बहुत बढ़िया निवातिया जी……………….