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20 Jan 2021 10:35 AM

आपका कमेन्ट असावधानीवश डिलीट हो गया है। क्षमा चाहूंगा। आपकी बेबाक राय के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।

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आपने मेरे कमेंट को पढ़ लिया है।
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धन्यवाद !

21 Jan 2021 05:55 PM

आपकी बहुमूल्य राय का स्वागत करते हुए विनम्र निवेदन है कि विरोधाभास अलंकार काव्य के सौन्दर्य को रहस्य को द्विगुणित कर देता है।यथा – ज्यों ज्यों बूडे़ श्याम रंग त्यों त्यों उज्ज्वल होय। सुन्दर विरोधाभासी पंक्तियां।
आपसे ऐसे ही अपनत्व और बेबाकी की सदैव अपेक्षा है। धन्यवाद।

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