20 Jan 2021 10:39 AM
आपने मेरे कमेंट को पढ़ लिया है।
कृपया मेरी टिप्पणी पर अपने विचार प्रस्तुत करें !
धन्यवाद !
अशोक सोनी
Author
21 Jan 2021 05:55 PM
आपकी बहुमूल्य राय का स्वागत करते हुए विनम्र निवेदन है कि विरोधाभास अलंकार काव्य के सौन्दर्य को रहस्य को द्विगुणित कर देता है।यथा – ज्यों ज्यों बूडे़ श्याम रंग त्यों त्यों उज्ज्वल होय। सुन्दर विरोधाभासी पंक्तियां।
आपसे ऐसे ही अपनत्व और बेबाकी की सदैव अपेक्षा है। धन्यवाद।
आपका कमेन्ट असावधानीवश डिलीट हो गया है। क्षमा चाहूंगा। आपकी बेबाक राय के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।