जगदीश शर्मा सहज
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19 Jan 2021 07:44 PM
रचना पठन हेतु एवं उत्साहवर्धन हेतु बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय
समाज के अकर्मण्य तत्वों पर सुंदर व्यंगपूर्ण प्रस्तुति !
धन्यवाद !