आदरणीय आपकी रचना अमीरी – गरीबी का दर्शन कराती,
मानवता के लिए सुंदर संदेश है ।
मेरे भाव कुछ यो है —-
धन के अंधे ,सुन ले बंधे,काम न कर तू गंधे रे। कुछ दिन की यह काया मिली है।,
छोड़ दे गोरख धंधे रे,
प्रेम से जीता जा ,हरि को भजता जा ।।
**निर्धन को न भूले,**
धन्यवाद महोदय!!!
आदरणीय आपकी रचना अमीरी – गरीबी का दर्शन कराती,
मानवता के लिए सुंदर संदेश है ।
मेरे भाव कुछ यो है —-
धन के अंधे ,सुन ले बंधे,काम न कर तू गंधे रे। कुछ दिन की यह काया मिली है।,
छोड़ दे गोरख धंधे रे,
प्रेम से जीता जा ,हरि को भजता जा ।।
**निर्धन को न भूले,**
धन्यवाद महोदय!!!