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शरीर स्वस्थ रहने से ही मानसिक रूप से स्वस्थ रहा जा सकता है। शारीरिक स्वास्थ्य एवं मानसिक स्वास्थ्य एक दूसरे के परिपूरक है।
जब शरीर एवं मनस स्वस्थ रहेगा तभी स्वस्थ संस्कारों एवं मूल्यों का पोषण संभव हो सकेगा। जो हमें स्वस्थ समाज की संरचना में सहायक सिद्ध होगा। अस्वस्थ शरीर एवं मानसिक विकार , असंक्रमित स्वस्थ विचारों को जन्म नहीं दे सकते एवं समाजिक रूप से स्वस्थ रहने की परिकल्पना साकार नहीं कर सकते हैं।

धन्यवाद !

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