मेरा विचार है कि यदि महिलाओं ने हड़प्पा सभ्यता से अर्थात 5000 वर्षो से इस परंपरा को आत्मसात किया तो यदि अब कोई आधुनिकता की और बढ़ना चाह रहा अथवा सिन्दूर की आवश्यकता को नकार रहा,तो चुकी पुरुषों की ये एक कीमती पूँजी है , उसे स्वयं इसका भार उठाना चाहिए और अपनी परंपरा और पूंजी को कम से कम हजार वर्ष तक ले जाने का शाहस तो दिखाये हो सकता है महिलाये ये प्रेम देख इसे पूण: स्वीकार लें l
मेरा विचार है कि यदि महिलाओं ने हड़प्पा सभ्यता से अर्थात 5000 वर्षो से इस परंपरा को आत्मसात किया तो यदि अब कोई आधुनिकता की और बढ़ना चाह रहा अथवा सिन्दूर की आवश्यकता को नकार रहा,तो चुकी पुरुषों की ये एक कीमती पूँजी है , उसे स्वयं इसका भार उठाना चाहिए और अपनी परंपरा और पूंजी को कम से कम हजार वर्ष तक ले जाने का शाहस तो दिखाये हो सकता है महिलाये ये प्रेम देख इसे पूण: स्वीकार लें l