आंन मान और मर्यादा सिर्फ तुमपर ही लदा जाता,
खुद का फर्ज है क्या चीज नारी रहे मर्यादा के बीच,
मछली को तैरना कौन शिखाएं,वो मूरख संग बीन बजाय
नीतिशास्त्र और दर्शन ज्ञान ये बेहद छोटी बाते
मातृ शाखा और और संगिनी,हर मर्यादाओं की तू ही जननी,
गंगा को स्वच्छ करने की मंशा,दोषित किया ये किसने जाना..
क्रमश: अर्पित
शिष्य की ये छोटी बात…??
आंन मान और मर्यादा सिर्फ तुमपर ही लदा जाता,
खुद का फर्ज है क्या चीज नारी रहे मर्यादा के बीच,
मछली को तैरना कौन शिखाएं,वो मूरख संग बीन बजाय
नीतिशास्त्र और दर्शन ज्ञान ये बेहद छोटी बाते
मातृ शाखा और और संगिनी,हर मर्यादाओं की तू ही जननी,
गंगा को स्वच्छ करने की मंशा,दोषित किया ये किसने जाना..
क्रमश: अर्पित
शिष्य की ये छोटी बात…??