कुछ तुम्हारी बंदिशें हैं कुछ है मेरे दायरे ,
जब कुदरत ही बने दुश्मन तो कोई क्या करे ,
इस कुदरत पर है येआखिर , क्या किसी का इख्त़ियार ,
कफ़स मे कैद सिसक रहा है तेरा मेरा प्यार !
श़ुक्रिया !
आपकी पेश़कश को वोट दे दिया है।
मेरी पेश़कश “अहद ” पर ग़ौर फ़रमा वोट करने की गुज़ारिश है !
कुछ तुम्हारी बंदिशें हैं कुछ है मेरे दायरे ,
जब कुदरत ही बने दुश्मन तो कोई क्या करे ,
इस कुदरत पर है येआखिर , क्या किसी का इख्त़ियार ,
कफ़स मे कैद सिसक रहा है तेरा मेरा प्यार !
श़ुक्रिया !
आपकी पेश़कश को वोट दे दिया है।
मेरी पेश़कश “अहद ” पर ग़ौर फ़रमा वोट करने की गुज़ारिश है !