मधुसूदन गौतम
Author
10 Jan 2021 10:44 AM
आदरणीय आत्मिक आभार।। प्रतिक्रिया के लिये।
चाह जब हद से बढ़ जाती है तो चाहत हो जाती है ,
चाहत जब हद से बढ़ जाती है तो जुनून बन जाती है ,
जुनून जब हद से बढ़ता है पागलपन बन जाता है ,
पागलपन जब हद से बढ़ता है तो अशांति पैदा होती है ,
अशांति जब हद से बढ़ती है तो हिंसा पैदा होती है ,
हिंसा जब हद से बढ़ती है तो अराजकता पैदा होती है ,
अराजकता जब हद से बढ़ती है विनाश उत्पन्न होता है ,
विनाश जब हद से बढ़ता है विध्वंस होता है ,
विध्वंस जब हद से बढ़ता है राष्ट्र का नाश होता है ,
धन्यवाद !