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चाह जब हद से बढ़ जाती है तो चाहत हो जाती है ,
चाहत जब हद से बढ़ जाती है तो जुनून बन जाती है ,
जुनून जब हद से बढ़ता है पागलपन बन जाता है ,
पागलपन जब हद से बढ़ता है तो अशांति पैदा होती है ,
अशांति जब हद से बढ़ती है तो हिंसा पैदा होती है ,
हिंसा जब हद से बढ़ती है तो अराजकता पैदा होती है ,
अराजकता जब हद से बढ़ती है विनाश उत्पन्न होता है ,
विनाश जब हद से बढ़ता है विध्वंस होता है ,
विध्वंस जब हद से बढ़ता है राष्ट्र का नाश होता है ,

धन्यवाद !

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आदरणीय आत्मिक आभार।। प्रतिक्रिया के लिये।

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