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9 Jan 2021 03:53 PM

श्याम सुंदर जी आपकी लघुकथा में एक ऐसे,समाज का चित्रण है जो किसी इंसान के सड़क पर पड़े होने शंकित नजर से उसे मृत्य,समझ कर उसके हालात को जाने बिना ही हुड़दंग मचाने लगता है, और तत पश्चात प्रशासनिक कार्य वाही के माध्यम से निपटाने में लग जाता है, किंतु उसकी सघन जांच नहीं करता, ना ही उसे चिकित्सा मुहैय्या कराने में दिलचस्पी लेता है जिसकी परिणति तब अंजाम पर पहुंचती है जब चिकित्सक उसके परिक्षण में उसे मृतक घोषित नहीं करता! यहां पर दोनों ही प्रकार के चरित्र सामने आते हैं,लोग अच्छे भी है और बुरे भी,बस उन्हें दिशा देने वाले पर निर्भर करता है! सादर अभिवादन श्रीमान जी को।

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24 Jan 2021 12:14 AM

धन्यवाद !

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