अरविन्द व्यास
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9 Jan 2021 07:06 PM
धन्यवाद जी … जरूर
प्रकृति के वासी, हम आदिवासी,
प्रथम पंक्ति से अंतिम पंक्ति तक आदरणीय व्यास जी आपने कविता को जिन शब्दों में समेटा प्रशंसनीय हैं!! बहुत-बहुत धन्यवाद सर जी! आशा करते हैं हमारी रचनाओं का भी अवलोकन करेंगे एक बार पुनः प्रणाम।