Rajesh Kumar Kaurav
Author
7 Jan 2021 08:03 PM
सहमति के लिए धन्यवाद जी
राजेश जी बिल्कुल कटु सत्य। गुण दोष से रहित साहित्य लेन देन का व्यापार बन गया है । बहुत शुभकामनाएं।