बहन शशि जी, किसान के प्रति आपके उद्गार और भावनाएं राहत का पैगाम दे रही है,वर्ना हम लोग तो इतने स्वार्थी हो गये हैं कि अन्नदाता के नाम से ही बौखला कर अनाप-शनाप टिप्पणी करने लगे हैं! आज के इस माहौल में यदि खेत में किसान और सीमा पर जवान अपनी निष्ठा से काम न कर रहे होते तो हम चैन से कैसे रह पाते,बस हुक्मरान से निवेदन है कि किसान को अपना मानकर उसकी ब्यथा को समझ सके!
सादर अभिवादन।
बहन शशि जी, किसान के प्रति आपके उद्गार और भावनाएं राहत का पैगाम दे रही है,वर्ना हम लोग तो इतने स्वार्थी हो गये हैं कि अन्नदाता के नाम से ही बौखला कर अनाप-शनाप टिप्पणी करने लगे हैं! आज के इस माहौल में यदि खेत में किसान और सीमा पर जवान अपनी निष्ठा से काम न कर रहे होते तो हम चैन से कैसे रह पाते,बस हुक्मरान से निवेदन है कि किसान को अपना मानकर उसकी ब्यथा को समझ सके!
सादर अभिवादन।