आपके शब्दों का आभार,
लिखना मेरा शौक है,
और मैं आपके शब्दों का सम्मान करता हूं.??
महावीर उत्तरांचली जी, कवितायेँ कई शैलियों में विद्यमान है! ये जरुरी नहीं की जहाँ छन्द बंध का प्रयोग नहीं वो कविता की श्रेणी में नहीं है! आप जानेंगे तो पाएंगे की कवि वो ही है जो अपनी बात को बिना जटिल बनाएं आसान भाषा, आसान शब्दों में लोगो तक पंहुचा पाएं! जिस शैली की ये कविता लिखते हैं उसे तुकांत शैली कहते हैं! तो ऐसा नहीं है की जिसमे छंद और बंध की बात नहीं है वो कविता नहीं है! अम्बर जी की अगर आप कवितायेँ पढ़ते हैं या अगर एक-दो कवितायेँ भी पढ़ी हो तो आपने ध्यान दिया होगा की ये अपने पाठको को प्रोत्साहित करते हैं! इनकी कवितायेँ प्रेरक होती हैं! आपका comment अम्बर जी की लेखनी पर पढ़ा तो सोचा की आपकी सलाह में थोड़ा सुधार करूँ! और इसलिए भी किया क्योंकि कवितायेँ में आपकी भी पढता हूँ !माफ़ी चाहूंगा लेकिन आपकी कविताओं में मुझे तुकबंदी ही नजर आयी! छन्द बंध की बात मुझे आपकी लेखनी में नज़र नहीं आती ! हम लोग एक जैसी पद्धति के लोग है, पढ़ना, सुनना और लिखना हमारा शौक है! इसलिए एक दूसरे को सुनकर, पढ़कर और देखकर ही हम एक-दूसरे में सुधार कर सकते हैं! हैं न? मैं उम्मीद करता हूँ की आप इन बातों को अन्यथा नहीं लेंगे!?
आपके शब्दों का आभार अमृत जी??☺
अंबर भाई जी, आपकी रचनाएँ देखीं। छन्द बन्ध का आभाव है। महज़ तुकबन्दी कोई कविता नहीं है। यदि सचमुच कवि बनना है तो छन्दों की कोई किताब पढ़िए या आपके कोई निकटतम शाइर/कवि हों तो उनसे जुड़िये। आपमें अपार सम्भावनाएँ हैं। विचार हैं लेकिन यदि छन्द में ना हों तो उनका कोई महत्व नहीं! एक बात थी जो आपको बतानी ज़रूरी समझी। कृपया अन्यथा न लें।