मधुसूदन गौतम
Author
7 Jan 2021 08:06 AM
आत्मिक आभार प्रतिक्रिया के लिये आदरणीय।जी अवश्य
कटु सत्य! अपने आप को श्रेष्ठ बनाने में ईश्वर की भक्ति एक पूजा वंदना है किन्तु अपने स्वार्थ को पाने के लिए देवी देवताओं का प्रर्दशन करते हुए लाभ उठाने का घृणित कार्य भी धड़ल्ले से करके अपने को उपासक दर्शाना! हमारी निकृष्टता की पराकाष्ठा है।