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अतिसुंदर भावयुक्त संदेशपूर्ण प्रस्तुति।
धन्यवाद !
आपकी कविता से मुझे हरिवंश राय बच्चन की अग्निपथ कविता याद आ गई जो प्रस्तुत कर रहा हूं :

तू न थकेगा कभी,
तू न रुकेगा कभी,
तू न मुड़ेगा कभी,
तू न झुकेगा कभी
कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ,
अग्निपथ, अग्निपथ ,अग्निपथ।
यह महान दृश्य है चल रहा मनुष्य है
अश्रु , स्वेद , रक्त से
लथपथ, लथपथ ,लथपथ
अग्निपथ ,अग्निपथ ,अग्निपथ

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बहुत सुंदर कविता, आपको सादर प्रणाम धन्यवाद सर

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