ख़ूबसूरत ग़ज़ल, तालिब मियाँ.! मैंने आपको वोट दे दिया है(08)…कृपया मेरी रचना “कोरोना को तो हरगिज़ है अब ख़त्म होना”(ग़ज़ल) को भी पढ़ें और अपना बहुमूल्य वोट दे कर अनुगृहीत करें।
? साभार..!
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ख़ूबसूरत ग़ज़ल, तालिब मियाँ.! मैंने आपको वोट दे दिया है(08)…कृपया मेरी रचना “कोरोना को तो हरगिज़ है अब ख़त्म होना”(ग़ज़ल) को भी पढ़ें और अपना बहुमूल्य वोट दे कर अनुगृहीत करें।
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