29 Dec 2020 12:09 PM
भाई प्रशांत सोलंकी जी अच्छी और दमदार रचना के लिए वोट माँगना कोई गुनाह नहीं है। दुःख तो तब होता है जब रचनाओं का चयन महज़ वोट और उनपर दिए कमैंट्स और लाइक से होता है। आधे से ज़ियादा कवि ऐसे हैं जिन्हें छन्द का ज्ञान भी नहीं है और न ही उन्होंने छन्दमुक्त के महान कवियों को पढ़ा है। कभी फ़ुरसत मिले तो ‘पाश’, ‘अदम गोण्डवी’, ‘दुष्यन्त’, व ग़ालिब को गहराई से पढ़ना। तब जाकर हम कुछ कुछ कविता, ग़ज़ल को समझे हैं। एक विचार था जो व्यक्त किया कृपया अन्यथा न लें। धन्यवाद।
सर मैंने आपकी कविता पर 15 दिसम्बर को ही वोट कर दिया था और आपसे वोट के लिए अनुरोध भी नही किया था ।