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जज़्बातों के भँवर में हम जिंदगी गुजारते रहे ,
ज़िंदगी हमें आज़माती रही हम ज़िंदगी को आज़माते रहे ,
इस सफ़र की इंतिहांं में इल्म़ हुआ क्या खोया क्या पाया आखिर हाथ खाली ही रहे ,

श़ुक्रिया !

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