किसी अन्य धर्म के समारोह की खुशियों में शामिल होने से कोई धर्म भ्रष्ट नहीं होता। जो ऐसा सोचते हैं यह उनके अपने धर्म के प्रति अंधश्रृद्धा की मानसिकता का परिचायक है। परस्पर सौहार्द्र एवं मानवता से बड़ा कोई धर्म नहीं है।
धन्यवाद !
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किसी अन्य धर्म के समारोह की खुशियों में शामिल होने से कोई धर्म भ्रष्ट नहीं होता।
जो ऐसा सोचते हैं यह उनके अपने धर्म के प्रति अंधश्रृद्धा की मानसिकता का परिचायक है।
परस्पर सौहार्द्र एवं मानवता से बड़ा कोई धर्म नहीं है।
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