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मजबूत विपक्ष के अभाव में वर्तमान सरकार निरंकुश हो गई है । सत्ता में स्थिर रहने के लिए संख्याओं का खेल राजनैतिक प्राथमिकता हो गई है। जनसाधारण की समस्याओं को वोट बैंक के आधार पर देखा जाता है । वोट प्राप्त करने हेतु लुभावनी घोषणाऐं करने का प्रचलन बन गया है। सरकार विरोधी आवाजों को उनके मूल में ही दबा दिया जाता है। जिसके लिए वर्तमान सरकार ने अंध भक्तों की एक फौज खड़ी कर ली है। जो अपने क्षेत्रीय प्रभाव एवं बाहुबल से विरोध को दबाने में सक्रिय भूमिका निभाती है। स्वार्थपरक राजनीति में सत्ता पद लोलुपता व्याप्त है। जिसमें जनता के हितों के स्थान पर राजनैतिक हित सर्वोपरि है।
जनता एक मूकदर्शक की भांंति यह सब कुछ झेलने के लिए बाध्य होकर रह गई है।

धन्यवाद !

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