Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings

जबर्दस्त श्रीमान । ऐसा लग रहा है कि आपने कितने सालों की जमा समय गाद को बाहर भेंक दिया है और फिर स्वक्ष झरना बन सांस ले रहे हो ।
क्या बात है जबरदस्त

You must be logged in to post comments.

Login Create Account
14 Dec 2020 07:17 PM

समयांन्तर में देश में नैतिक मूल्यों के ह्रास के कटु यथार्थ की अनुभूति को प्रस्तुत करने का प्रयास किया है।
रचना में निहित भावों को समझ कर टिप्पणी का स्वागत है।
धन्यवाद !

Loading...