अमित कुमार दवे
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6 Dec 2020 08:50 AM
सुन्दर टिप्पणी..संवेदनाहीन समाज कभी सुखद अनुभूति का अहसास कराने में समर्थ नहीं हो सकता… आभार आदरणीय
वर्तमान मे निजी स्वार्थपरता के चलते समाज संवेदनहीनता की ओर अग्रसर है। मानवीय मूल्यों का ह्रास हो रहा है। विकास के नाम पर पूंजीवादिता समाज पर हावी है । समाज में अनेक विसंगतियां पैदा हो रही हैं। अतः समग्र आकलन करने के पश्चात इस विषय में समरूपता लाने के लिए प्रयास करने होंगे।
जिसके लिए इसके मूल पर जाकर निराकरण करना होगा। तभी परिवर्तन की दिशा एवं दशा संभव हो सकेगी।
धन्यवाद !