Sudhir srivastava
Author
2 Dec 2020 11:56 PM
बहुत खूब,आदरणीय
अपनी रूदादे दिल औरों को सुनाया ना करो ,
हम़दर्दी की उम्म़ीद ज़माने से ना लगाया करो ,
राहे एहसास में पथराव बहुत हैं मुम़किन ,
दिल को शीशे के झरोखों में सजाया ना करो ,
ये ज़रूरी नहीं के हर शख़्स मसीहा ही हो ,
प्यार के जख्म़ अम़ानत हैं दिखाया ना करो ,
श़ुक्रिया !