निस्संदेह, श्याम सुंदर जी, आपकी पारखी नजरों ने वह सब महसूस किया है, जिसे अभिव्यक्त करने का प्रयास प्रयत्न करना चाहता था, किन्तु खामियां रह गई हैं, फिर भी इस ओर इशारा नजर आ रहा है,आप जैसे पारखी से बहुत कुछ सीखने का अवसर प्राप्त होता रहता है, आपकी कृपा दृष्टि बनी रहे इस अपेक्षा के साथ सादर प्रणाम!
निस्संदेह, श्याम सुंदर जी, आपकी पारखी नजरों ने वह सब महसूस किया है, जिसे अभिव्यक्त करने का प्रयास प्रयत्न करना चाहता था, किन्तु खामियां रह गई हैं, फिर भी इस ओर इशारा नजर आ रहा है,आप जैसे पारखी से बहुत कुछ सीखने का अवसर प्राप्त होता रहता है, आपकी कृपा दृष्टि बनी रहे इस अपेक्षा के साथ सादर प्रणाम!