Harinarayan Tanha
Author
16 Nov 2020 10:11 AM
बहुत बहुत आभार सर आपका
धन्यवाद |
आपका कथन सत्य है , डॉक्टर अंबेडकर को अपने जीवन काल में उतना सम्मान नहीं मिला जिसके वे हकदार थे । यहां तक की पाठ्यक्रम में उनकी जीवनी एवं उपलब्धियों को शामिल तक नहीं किया गया था।
उनके मरणोपरांत कई वर्षों बाद राजनीतिज्ञों द्वारा दलित वोटों को भुनाने के लिए उनके नाम का जोर शोरों से प्रचार कर इस्तेमाल किया गया। जिसका स्पष्ट प्रमाण उनको मरणोपरांत कई वर्षों बाद भारत रत्न की उपाधि से सम्मानित करना है। यह एक सोची-समझी राजनीति का हिस्सा है जिसमें उनके प्रति कोई सम्मान प्रेरित भावना नहीं है।
देश के इतिहास को भी तोड़ मरोड़ कर पेश करना भी देश की कुत्सित राजनीति है।
आपके सारगर्भित लेख का स्वागत है।
धन्यवाद !