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इंसा को जो मारे वह इंसा नहीं व़हशी है ,
फ़ना हो रूह भटकेगी दोज़ख़ में उसकी यह बात तय सी है,

श़ुक्रिया !

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आपको सादर प्रणाम धन्यवाद सर

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