सुरेश कुमार चतुर्वेदी
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1 Nov 2020 09:45 PM
आपको सादर प्रणाम धन्यवाद सर
इंसा को जो मारे वह इंसा नहीं व़हशी है ,
फ़ना हो रूह भटकेगी दोज़ख़ में उसकी यह बात तय सी है,
श़ुक्रिया !