इश्क़ में जबसे हमने फ़रेब खाए हैं , तबसे अपने भी लगते पराए हैं , गुम़सुम़ सा गम़जदा रहता हूं , ताऱीकियों और तन्ह़ाईयों में भटकता रहता हूं ,
श़ुक्रिया !
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इश्क़ में जबसे हमने फ़रेब खाए हैं ,
तबसे अपने भी लगते पराए हैं ,
गुम़सुम़ सा गम़जदा रहता हूं ,
ताऱीकियों और तन्ह़ाईयों में भटकता रहता हूं ,
श़ुक्रिया !