Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings

उज़्र आने में भी है और बुलाते भी नहीं ,
बाइस-ए-तर्क-ए-मुलाक़ात बताते भी नहीं ,
मुंतज़िर हैं दम-ए-रुख़्सत कि ये मर जाए तो जाएँ ,
फिर ये एहसान कि हम छोड़ के जाते भी नहीं ,

श़ुक्रिया !

You must be logged in to post comments.

Login Create Account
Loading...