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इंसाफ़ की हस़रत में हमने तश़्द्दुत भरी ज़िंदगी गुज़ार दी ,
हमें इल्म़ न था , इंसाफ तो गिरवी रखा था रसूख़ वालों के यहां दौलत की ख़ातिर ,

श़ुक्रिया !

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