Sudhir srivastava
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29 Sep 2020 05:17 PM
यथार्थ उजागर करते आपके विचार??
हमारे समाज में कन्याओं की उत्पत्ति को हेय दृष्टि से देखने की मानसिकता में बदलाव लाना एक अत्यंत ही दुष्कर कार्य है। तथाकथित पढ़े लिखे लोगों में भी इस प्रकार की मानसिकता पाई जाती है जिसमें बालकों को बालिकाओं से श्रेष्ठ मानकर व्यवहार किया जाता है। हालांकि उन्हें भली-भांति विदित है कि बालिकाएं किसी भी क्षेत्र में बालकों से पीछे नहीं हैं। फिर भी उनमें निहित संस्कार उन्हें समकक्ष भाव प्रदर्शित करने एवं स्वीकार करने से रोकते हैं। यह सर्वविदित तथ्य है कि बालिकाओं को अवसर प्रदान करने पर वे सर्वश्रेष्ठ स्तर पर पहुंचकर अपने आप को सिद्ध कर सकती हैं।
परंतु हमारे पुरुष प्रधान समाज की मानसिकता इसे स्वीकार करने से हमेशा नकारती आई है।
धन्यवाद !