धन्यवाद श्रीमान श्याम सुंदर जी, आपने विस्तार से समीक्षा की है, और आपकी चिंता जायज भी है, लेकिन दुखद यह है कि सांसदों के अमर्यादित व्यवहार की आड़ में सरकार गलत राह पर चल पड़ी है, और इससे भी ज्यादा परेशानी इस बात की है कि जो संवैधानिक पदों पर बैठे हुए हैं, वह भी पक्षपात करते हुए भी शर्मिन्दगी छुपाने के लिए असत्य बयानी करते हुए नहीं थक रहे, और जन सरोकारों पर सरकारी हितों को अंजाम देते हुए, धनाढ्यों के पक्ष में खड़े होकर उस सामान्य मानवों की उपेक्षा कर रहे हैं, जो उसके हित धारक हैं, और जिनके हितों की रक्षा करने की संवैधानिक जिम्मेदारी भी उन पर है! भविष्य में ऐसी पुनरावृत्ति होने की राह भी खोल दी है,सब कुछ भगवान भरोसे पर है,सादर नमस्कार।
धन्यवाद श्रीमान श्याम सुंदर जी, आपने विस्तार से समीक्षा की है, और आपकी चिंता जायज भी है, लेकिन दुखद यह है कि सांसदों के अमर्यादित व्यवहार की आड़ में सरकार गलत राह पर चल पड़ी है, और इससे भी ज्यादा परेशानी इस बात की है कि जो संवैधानिक पदों पर बैठे हुए हैं, वह भी पक्षपात करते हुए भी शर्मिन्दगी छुपाने के लिए असत्य बयानी करते हुए नहीं थक रहे, और जन सरोकारों पर सरकारी हितों को अंजाम देते हुए, धनाढ्यों के पक्ष में खड़े होकर उस सामान्य मानवों की उपेक्षा कर रहे हैं, जो उसके हित धारक हैं, और जिनके हितों की रक्षा करने की संवैधानिक जिम्मेदारी भी उन पर है! भविष्य में ऐसी पुनरावृत्ति होने की राह भी खोल दी है,सब कुछ भगवान भरोसे पर है,सादर नमस्कार।