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वर्तमान उहापोह की स्थिति की सुंदर प्रस्तुति।
सरकार न्यूनतम मजदूरी एवं न्यूनतम कृषि उत्पाद खरीदी मूल्य निर्धारण के फलस्वरूप उत्पन्न संभावित विवाद की स्थिति से बचने के लिए के अपनी सुरक्षित सत्ता निर्मित करना चाहती है। मजबूत विपक्ष के अभाव में बिना कोई विस्तृत चर्चा एवं शंका समाधान एवं विकल्पों के अभाव में इस प्रकार के तुगलकी फरमानों भोगने के अलावा जनता के पास कोई चारा नहीं है। राजनीतिक स्वार्थ के चलते सड़कों पर आकर आंदोलन करने से एवं सार्वजनिक संपत्तियों को नष्ट करने से कोई प्रयोजन हल नहीं होगा। अपितु सर्वदलीय समिति में चर्चा से इस विषय कोई समाधान खोजने का प्रयत्न करना होगा। जिसका सर्व सम्मत ज्ञापन सदन के पटल पर प्रस्तुत कर उस पर चर्चा कर संवैधानिक प्रक्रिया का पालन कर कल्याणकारी हल निकालने के लिए सरकार को बाध्य करना होगा।
नेताओं को चाहिए कि चर्चाओं के दौरान सदन की मर्यादाओं का पालन करें और अपने आचरण से देश की जनता को शर्मसार न करें। क्योंकि उनके आचरण से हर व्यक्ति जिसने उनको चुनकरअपना प्रतिनिधि बनाकर भेजा है, उनके सदन में अमर्यादित व्यवहार से शर्मसार होता है।

धन्यवाद !

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