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ये कैसी माय़ूसी ज़ेहन पे ताऱी है।
शायद उसकी खुशियाँँ मिरे दिल पे भारी हैं।

श़ुक्रिया !

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क्या बात कह दी…
गजब ।
मेरी पूरी कविता को ही नस्तनवूद कर दिया ।

आपकी प्रस्तुति से प्रेरणा लेकर मेरे
उद् गार प्रस्तुत किए हैं।

धन्यवाद !

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