संतोष श्रीवास्तव जी, हिन्दी भाषा को व्यापक फलक में रखने के लिए धन्यवाद, बहुत अच्छा होता जब अहिन्दी भाषी राज्यों में भी इसे सहज रूप में स्वीकार किया जाता, किन्तु यह अभी दूर की कौड़ी लगती है, और यही हमारे लिए कष्ट दायी है, व्यवहार में भी,हम जब दक्षिण भारत में जाते हैं तो, वहां के लोगों से संवाद में कठिनाई होती है, और हम जैसे लोग जो अंग्रेजी भी नहीं जानते, बड़ी समस्या में पड़ जाते हैं!आप अपने प्रयास जारी रखें! सादर नमस्कार।
संतोष श्रीवास्तव जी, हिन्दी भाषा को व्यापक फलक में रखने के लिए धन्यवाद, बहुत अच्छा होता जब अहिन्दी भाषी राज्यों में भी इसे सहज रूप में स्वीकार किया जाता, किन्तु यह अभी दूर की कौड़ी लगती है, और यही हमारे लिए कष्ट दायी है, व्यवहार में भी,हम जब दक्षिण भारत में जाते हैं तो, वहां के लोगों से संवाद में कठिनाई होती है, और हम जैसे लोग जो अंग्रेजी भी नहीं जानते, बड़ी समस्या में पड़ जाते हैं!आप अपने प्रयास जारी रखें! सादर नमस्कार।