अरशद रसूल बदायूंनी
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12 Sep 2020 01:29 AM
आभार आपका
आपके द्वारा लिखे गए को जितना समझ पाया हूं, उससे यह तो महसूस किया है कि, वर्तमान परिवेश में स्वंय को,सहज नहीं पा रहे हैं! इतना जरूर कहूंगा कि अधिकांश लोग बहुत अच्छे हैं और वह अपनी दिनचर्या में इतना मसगूल है कि दूसरे के बारे में सोचने की फुर्सत नहीं है,कम ही है जो थोड़ी बहुत मतभिन्नता रखतें हैं, इस लिए उदाश होने की आवश्यकता नहीं प्रतीत होती! आशा अपने लेखन को जारी रखते हुए, रचनात्मक दृष्टि कोण के साथ आगे बढ़ेंगे!सस्नेह अभिवादन