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आपके इस प्रसंग से मुझे लगता है कभी-कभी कोई अदृश्य शक्ति हमें किसी अप्रत्याशित घटना का पूर्व संदेश दे देती है। कुछ इसी प्रकार की घटना मेरे साथ भी घटित हुई है। उस दिन में अपने फॉर्म हाउस जो शहर से 40 किलोमीटर दूर है गया था। वहां से वापस लौटते समय मै मुख्य सड़क पर स्थित कॉपरेटिव बैंक के शाखा प्रबंधक जो कि मेरे मित्र थे से मिलने चला गया। काफी देर तक उनसे बातचीत होती रही । उन्होंने चपरासी से पास वाले चाय के टपरे से चाय पकौड़ी लाने को कहा। पर वह चाय पकौड़ी विलंब से लाया। इस दौरान शहर को जाने वाली बस आ गई थी मैने उनसे कहां मैं चलता हूं आपकी चाय फिर पी लूंगा क्योंकि यह बस छूटी तो दूसरी बस मुझे 1 घंटे बाद मिलेगी परंतु ने मुझे बहुत आग्रह कर रोक लिया।
बाद में 1 घंटे बाद कि मुझे शहर लौटने के लिए बस मिली। रास्ते में मैंने देखा कि वह बस जो मुझसे छूट गई थी उसका भयंकर एक्सीडेंट एक ट्रक से होकर सड़क के नीचे खाई में पलटी हुई पड़ी थी जिसमें कई यात्री की मृत होकर एवं कई गंभीर रूप से घायल पड़े थे। ग्रामीणों की मदद से दुर्घटनाग्रस्त बस में से यात्रियों को निकालने के प्रयास जारी थे। उस हृदय विदारक दृश्य को देखकर मेरे होश उड़ गए मैंने सोचा यदि मैं भी उस बस में सवार होता तो मेरा क्या हाल होता? मुझे लगा कि किसी अदृश्य शक्ति ने मेरे मित्र को मुझे रोकने के लिए प्रेरित किया था। जिससे मैं दुर्घटनाग्रस्त होने से बच सका।
मेरे जीवन में बहुत से ऐसे पल आए हैं जब मैंने किसी अदृश्य शक्ति के प्रभाव को अनुभव किया है।
अतः किसी अदृश्य शक्ति जिसे विभिन्न नामों से परिभाषित किया जाता है, के अस्तित्व को नकारा नहीं जा सकता है।

धन्यवाद !

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12 Aug 2020 09:36 PM

जी सर कहीं न कहीं हमें माना ही पड़ेगा।मैं इस समय पक्षाघात के इलाज के बाद विश्राम कर रहा हूँ।विगत 18-19 से मेरा लेखन कार्य शून्य हो गया था परिस्थिति भले ही कुछ रही हो मगर अब ब पुनः सक्रिय हो रहा हूँ।ये ईश्वर की अपनी व्यवस्था ही तो कह सकता हूँ।शायद पक्षाघात पीड़ा में भी मेरी भलाई निहित है।अनेक पत्र पत्रिका में रचना का प्रकाशन भी हो रहा है।ये सब प्रभू की लीला ही है।मैं तो अपनी पत्नी को ईश्वर पर भरोसा रखने की हीबात कहता हूँ।जेहि विधि राखे राम वही विधि रहिए।

यदि आप में ईश्वर के अस्तित्व में आस्था है , और सच्चे दिल से आप ईश्वर को याद करते हो तो , ईश्वर हमेशा आपकी रक्षा करता है। निराकार रूप में आपको उसकी स्थिति की अनुभूति समय-समय पर होती रहती है।

13 Aug 2020 10:07 AM

जी सत्य ही है।आभार

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