Dr Archana Gupta
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9 Aug 2016 05:48 PM
तहे दिल से आभार आपका रचना पसंद करने जे लिए
बहुत खूब ,,सही कहा अर्चना जी आपने
क ई. बार व्यक्ति समाज. मे तरह. 2
कि बिक्रीतियो का सामना करते करते पत्थर दिल हो जाता है, , लेकिन प्यार की प्रबल ओर निरंतर. बोछार उसे भिगोकर उसके सोच के तासीर को भी बदलने मे कामयाब. हो जाती है ,,,,लेकिन. ए आसान नहीं ,,,ओर,,असम्भव. भी नहीं
जो जीता ,, वही सिकन्दर
सत्यमेव जयते ।।।
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