शेख़ जाफ़र खान
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8 Aug 2020 06:43 PM
आदरणीय को नमस्कार ।
रचना को स्नेह मिलता रहे । हृदय से आभार ।
अन्याय की बुनियाद पर हो रहा मंदिर का निर्माण. माननीय सर्वोच्च न्यायालय का फैसला विरोधाभास से भरा है. वह बहुसंख्यकों के भय से दिया गया फैसला है क्योंकि देश के मौजूदा एक सशक्त नेता ने सबरीमाला के फैसले के दौरान लगभग धमकी भरे शब्दों में कहा था कि अदालतें ऐसे फैसले न दें जिन्हें लागू न किया जा सके. शहीद की गई बाबरी मस्जिद पर फैसला उसी धमकी का नतीजा है. मैं घर पर ही राम की अराधना करूंगा इस मंदिर में कभी नहीं जाऊंगा क्योंकि भगवान राम ने अपने छोटे भाई से कहा था-‘निर्मल मन जन सो मोहे पावा, मोहि कपट छल क्षुद्र न भावा.’ अर्थात ‘निर्मल मन के लोग ही मुङो पसंद हैं. मुङो छलकपट और क्षुद्रता पसंद नहीं है.’