सुरेश कुमार चतुर्वेदी
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25 Jul 2020 12:34 PM
बैठे हैं किनारे पर, कभी तो लहर आएगी। आपको सादर प्रणाम धन्यवाद सर।
संतुष्टि का बोध, यही तो नहीं हो पा रहा है, लगे हैं अंधी दौड़ में,सब कुछ ताक पर रख कर।