दिल से दिल मिलते हैं फिर जुदाई हो जाती हैं। नज़दीकियां बनती है फिर दूरियां हो जाती हैं। वक्त को बांध ना सका कोई मुक़द्दर का लिखा ना टाल सका कोई जिंदगी में चाहने वाले बहुत मिले मुझको। पर तुझ सा चाहने वाला दिलबर ना मिला मुझको।
श़ुक्रिया !
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Shukriya Shyam ji
दिल से दिल मिलते हैं फिर जुदाई हो जाती हैं।
नज़दीकियां बनती है फिर दूरियां हो जाती हैं।
वक्त को बांध ना सका कोई
मुक़द्दर का लिखा ना टाल सका कोई
जिंदगी में चाहने वाले बहुत मिले मुझको।
पर तुझ सा चाहने वाला दिलबर ना मिला मुझको।
श़ुक्रिया !