Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings

अतिसुंदर किन्नरों के प्रति सद्भावना पूर्ण विचार।

समाज में अपेक्षित सा जीवन जीने के लिए बाध्य किन्नरों के लिए समाज में व्याप्त परंपराएं एवं रूढ़िवादिता दोषी है। जो एक मानवता विहीन विकृत सोच का परिणाम है। हमें इस सोच को बदलने की आवश्यकता है और किन्नरों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयत्न करना चाहिए। हमें यह समझना चाहिए कि जन्मजात किन्नर होने में उनका कोई दोष नहीं है यह तो ईश्वर की देन है। उन्हें भी सम्मान से अपने जीवन निर्वाह का अधिकार है। उन्हें हेय दृष्टि से देखना और समाज से उन्हें अलग थलग कर देना मानवता नहीं है। वे भी सद्भावना के पात्र हैं।
हमें इस विषय में विभिन्न चर्चाओं का आयोजन करके समाज में जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता है।
इस वर्ग की विभिन्न समस्याओं पर विचार कर शासन को भी इनके उत्थान के लिए प्रयत्नशील होना पड़ेगा।

धन्यवाद !

You must be logged in to post comments.

Login Create Account
16 Jul 2020 10:29 AM

जी बिल्कुल मै आपके विचार से पूर्ण रूप से सहमत हूं।
धन्यवाद

टंकण त्रुटि अपेक्षित के स्थान पर उपेक्षित पढ़ें ।

Loading...