मोहब्बत एक पहेली है।
इसको अब तक कोई जान न पाया।
इसका क्या सिला है कोई पहचान ना पाया।
ये गम है कभी तो कभी खुशी है।
ये कभी दर्द है तो कभी हंसी है।
ये कभी होठों की मुस्कुराहट तो कभी आंखों की नमी है।
कभी दिल की जलन तो कभी राहत की ठंडक है।
कभी मिलन के पल तो कभी जुदाई की घड़ी है।
कभी खुदा की मेहर तो कभी कुदरत का कहर है।
लोग इसकी कशमकश में जिंदगी गुजारते हैं।
ताउम्र इसका फलसफा क्या है नहीं जान पाते।
मोहब्बत एक पहेली है।
इसको अब तक कोई जान न पाया।
इसका क्या सिला है कोई पहचान ना पाया।
ये गम है कभी तो कभी खुशी है।
ये कभी दर्द है तो कभी हंसी है।
ये कभी होठों की मुस्कुराहट तो कभी आंखों की नमी है।
कभी दिल की जलन तो कभी राहत की ठंडक है।
कभी मिलन के पल तो कभी जुदाई की घड़ी है।
कभी खुदा की मेहर तो कभी कुदरत का कहर है।
लोग इसकी कशमकश में जिंदगी गुजारते हैं।
ताउम्र इसका फलसफा क्या है नहीं जान पाते।
श़ुक्रिया !