सबके साथ होते हुए भी मैं अपने को अकेला पाता हूं। जीने की हसरत नहीं अपनों के लिए जीता हूं। हर पल दर पल अब मौत को करीब पाता हूं।
श़ुक्रिया !
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सबके साथ होते हुए भी मैं अपने को अकेला पाता हूं।
जीने की हसरत नहीं अपनों के लिए जीता हूं।
हर पल दर पल अब मौत को करीब पाता हूं।
श़ुक्रिया !