जगदीश लववंशी
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12 Jul 2020 06:35 PM
आभार ???
आभार ???
दोहे लिखने की अच्छी कोशिश है लववंशी जी
किंतु कुछ त्रुटियाँ हैं…
उदाहरण..
जो खाते दूध घी,पास न आए रोग।
कहता आयुर्वेद यह,उत्तम इनका भोग।।
आपके ही शब्द आगे पीछे किये हैं मैंने..गौर कीजिएगा।
दोहे के प्रथम एवं तृतीय चरणों में ग्यारहवीं मात्रा लघु होनी अनिवार्य है। और दूसरे और चौथे चरण के अंत में भी लघु मात्रा आएगी ,जो आपकी सही है।
हर युग में गौ पूजते,गौ में बसते देव।
जिस घर में गौ पालते,रहता स्वर्ग सदैव।।
एक सलाह है आदरणीय जेपी लववंशी जी!