अब कहीं जी नहीं लगता दीवानगी इस कदर तारी है। भटका भटका सा फिरता रहता हूं दिल भारी भारी है।
श़ुक्रिया !
You must be logged in to post comments.
अब कहीं जी नहीं लगता दीवानगी इस कदर तारी है।
भटका भटका सा फिरता रहता हूं दिल भारी भारी है।
श़ुक्रिया !